मोहनदास करमचंद गांधी मैं आपको महात्‍मा क्‍यों कहूं

ऋषि मिश्र

मोहनदास करमचंद गांधी पुण्‍यतिथि पर आपको याद करता हूं. साथ ही खुद से एक सवाल भी पूछता हूं कि मैं आपको महात्‍मा क्‍यों कहूं. क्‍या आप महात्‍मा थे ताेे युवाओं के प्रणेेता और केवल देश के लिए बिना किसी स्‍वार्थ के अपना सर्वस्‍व बलिदान करने वाले भगत सिंह‍ कीी फांसी रोकने की अपील आपने अंग्रेज सरकार से क्‍यों नहीं की थी. कोई एक वजह थी इस बात की कि आप देश की भावना को सरकार तक न पहुंचाते मगर आपने ऐसा नहीं किया. सुभाष चंद्र बोस जब कांग्रेस अध्‍यक्ष पद का चुनाव जीत गए तो आपने उनकी जीत पर अपनी मुहर लगाने से इन्‍कार क्‍यों कर दिया था. भारत और पाकिस्‍तान के बंटवारे को आखिर आपकी मंजूरी क्‍यों मिल गई.

मोहनदास करमचंद गांधी आप जिद्दी और असहिष्‍णु थे. आप अपने सिध्‍दांत माइ वे ऑर हाइवे पर इतना अडिग क्‍यों थे, आपको क्‍यों लगता था कि जो आपके साथ नहीं आपके विचारों से सहमत नहीं है वह गलत है. बात चार फरवरी 1922 की थी असहयोग आंदोलन को लेकर गोरखपुर के पास चौरी चौरा में आंदोलन कर रहे लोगों पर अंग्रेजों की लाठियां बरस पड़ी थीं. जवाब में थाने पर हमला हुआ और आग लगा दी गई. 20 अंग्रेजों और दो भारतीयों की मौत हुई. हादसा था हो गया. दुनिया में ऐसे लाखों अपराध हुए मगर आपने पूरे देश की भावनाओं से जुड़े हुए असहयोग आंदोलन को ही समाप्‍त कर दिया. लाखों आंदोलनकारियों की भावनाओं से खिलवाड़ किया. जिसके बाद आंदोलनकारियों को भागों में विभाजित कर दिया.

डोमेनियन स्‍टेट की मांग आपको पसंद क्‍यों थी मोहनदास करमचंद गांधी. आप क्‍यों चाहते थे लंदन की क्‍वीन के हाथों में भारत की बागडोर बनी रही. क्‍यों नेता जी सुभाष चंद्र बोस आपके लिए आंखों का कांटा थे. पूर्ण स्‍वराज्‍य मांगने आपको इतनी देर क्‍यों लगी.

सी राजगोपालाचारी जो कि आपके चहेते नेता थे. आपने उनको अपना उत्‍तराधिकारी भी बनाया था मगर 1942 में क्रिप्‍स कमीशन को लेकर हुए वैचारिक मतभेदों के बाद आपने जवाहर लाल नेहरू को अपना उत्‍तराधिकारी क्‍यों बना दिया. विज्ञान और तकनीक को लेकर आप इतने दकियानूसी क्‍यों थे मैंने पढ़ा है कि आपने कस्‍तूरबा को मरने दिया मगर इंजेक्‍शन नहीं लगाने दिया. आप अहिंसा के समर्थक थे मगर भारतीय सैनिकों के ब्रिटिश सेना में भर्ती किए जाने पर आपको कोई भी समस्‍या क्‍यों नहीं थी.

मोहनदास करमचंद गांधी मुझे आपको महात्‍मा कहने में गुरेज है. आपकी आज हत्‍या हुई थी ये दुख का विषय है. हत्‍यारे को सजा भी मिल गई थी मगर उन हत्‍याओं की सजा किसको मिलेगी जो आपके कथित अहिंसक आंदोलन और विचारों की वजह से हुईं. इसलिए मैं आज 30 जनवरी 2021 को ये तय करता हूं मेरे लिए आप केवल मोहनदास करमचंद गांधी हो और कुछ भी नहीं. जय हिंद.

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